सोचा याद न करके थोड़ा तड़पाऊं उनको!
किसी और का नाम लेकर जलाऊं उनको!
पर चोट लगेगी उनको तो दर्द मुझको ही होगा!
अब ये बताओ किस तरह सताऊं उनको!
एक दिन हमारे आंसूं हमसे पूछ बैठे!
हमे रोज़ - रोज़ क्यों बुलाते हो!
हमने कहा हम याद तो उन्हें करते हैं तुम क्यों चले आते हो!
जीना चाहते हैं मगर ज़िन्दगी रास नहीं आती!
मरना चाहते हैं मगर मौत पास नहीं आती!
बहुत उदास हैं हम इस ज़िन्दगी से!
उनकी यादें भी तो तड़पाने से बाज़ नहीं आती!
न वो आ सके न हम कभी जा सके!
न दर्द दिल का किसी को सुना सके!
बस बैठे है यादों में उनकी!
न उन्होंने याद किया और न हम उनको भुला सके!
बड़ी कोशिश के बाद उन्हें भूला दिया!
उनकी यादों को दिल से मिटा दिया!
एक दिन फिर उनका पैगाम आया लिखा था मुझे भूल जाओ!
और मुझे भूला हुआ हर लम्हा याद दिला दिया!